Dr. Gaurav Pradhan

 

Secrets of Shiva and Jyotirlingas

 

If we see the radioactive map of India, radiations are found at all the 12 JyotirLingas. ShivLingas are nothing but nuclear reactors. We all know about Nuclear Reactor but may be we don’t know about the oldest Nuclear Reactors in India.

 

The Hindu (English News Paper) published a news that Uranium is available in Kashi (Varanasi) Ground Water. This was Published on 14 July 2008. At that time Scientists used samples of 11 different TubeWell/ Driven Well and found that there is 2 to 11 P.P.B (Particle Per Billion) Uranium in Water. So that there is probability that there was a big Nuclear Reactor at this Holy Palace.

Famous Historian Late P.N. Oak described 12 Molecular Enerfy Centre of Ancient India in Chapter 21 of First Block in his famous book “Vaidik Vishwa: Rasthra Ka Itihaas”. According to OAK that in India there are 12 “Jyotirlinga”. All these reactor were located at these 12 Jyotirlinga.

They are as follows:

1. Somnath (Gujarat)

2. Malikaarjun (Andhra Pradesh)

3. Mahakal (Ujjain)

4. Onkareshwar (M.P)

5. KedarNath (Uttarakhand)

6. BhimShankar (Near Guwahati)

7. Kashi Vishvanath (Kashi)

8. Shrambhkeswar (Nasik)

9. Baidnath (Bihar)

10. Nageshwar (Gujarat)

11. Rameshwar (TamilNadu)

12. Ghaneswar (Aurangabad)

 

Consider the shape. The shape of a Shivalinga is identical to modern atomic reactors.

 

A Shivling is traditionally rooted in standing water below the ground level. Over the emblem also hangs a pitcher which constantly drips water over the Shivling. The holy Ganga is also depicted as flowing over the head of Lord Shiva. All these indicate condensation devices (including a crescent moon on the forehead). Why are so many condensation devices associated with Shivling (and Shiva), if it does not symbolizes an energy producing facility?

Devotees of Shiva complete only 3/4th round of the Shivling. They must turn back from the water outlet. They are not supposed to cross that waste water channel. When I asked a priest about it, he said “the water coming out of Shivling is “impure” and that one must not touch it at any cost’. Hence the waste water emerging form the Shivling depicted radioactive waste and hence traditionally should not be crossed.

 

A scientific neutraliser also used to be provided. Namely when Gharund is placed at the water outlet and the waste water channelled through it, devotees may freely cross the waste water channel to complete the round.

This clearly points to the fact that ancient Hindus had devised a scientific gadget by which they could neutralize the atomic waste.

 

On a closer analysis of the term Jyotirling, we find that the Sanskrit term ‘Jyoti’ means light and ‘ling’ means symbol. Therefore the term Jyotirling can also be translated as ‘Symbol of light’.

 

Each of the twelve Jyotirling is situated near a water body. Water is poured at the shivlinga. Things like Bilv-Patra, aak, aakmad, dhatura, gudhal etc are said to be the favourite things of Shiva. All these are very good absorbers of energy. It again symbolizes condensation process.

 

The Waves of the rock where the Shivaling is based are like the path of electrons around the center. Same as Lord Shiva Nuclear Energy is Welfare and Disastrous. Lord Shiv is Naive and Boon to Ineligible peoples and they becomes enemy of humanity. Same like it When Nuclear Power is in wrong hands the same thing happens.

 

Therefore there is no shock waves that creation of Lord Shiva Is done by our Scientists. When the Third Eye of Lord Shiva unstuck everything will be destroyed shows the destroying ability of Nuclear Weapon.

 

Therefore, Where there are Jyotirlinga’s, Definitely Nuclear Power Center were available at those places. Due to these places definetly Radiation of that Places and quantity of Uranium is also increased in nearby places. The best example of the fact is Availability of Uranium in water of Kashi.S

 

Some years ago, Radiation test were also compiled in Kurukshetra, and found that 3% more radiation is there in comparison of normal places. May be this is because In the War of Mahabharata, Nuclear Weapons were used. According to Historian P.N. Oak at the period of Mahabharata these 12 Nuclear Reactors Produce energy.

 

Chanting “Om Namah Shivaya” produces amazing energy and effects.

 

Do you still want to waste your money and time to read GREEN GARBAGE?

■ क्रति = सैकन्ड का  34000 वाँ भाग

■ 1 त्रुति = सैकन्ड का 300 वाँ भाग

■ 2 त्रुति = 1 लव ,

■ 1 लव = 1 क्षण

■ 30 क्षण = 1 विपल ,

■ 60 विपल = 1 पल

■ 60 पल = 1 घड़ी (24 मिनट ) ,

■ 2.5 घड़ी = 1 होरा (घन्टा )

■ 24 होरा = 1 दिवस (दिन या वार) ,

■ 7 दिवस = 1 सप्ताह

■ 4 सप्ताह = 1 माह ,

■ 2 माह = 1 ऋतू

■ 6 ऋतू = 1 वर्ष ,

■ 100 वर्ष = 1 शताब्दी

■ 10 शताब्दी = 1 सहस्राब्दी ,

■ 432 सहस्राब्दी = 1 युग

■ 2 युग = 1 द्वापर युग ,

■ 3 युग = 1 त्रैता युग ,

■ 4 युग = सतयुग

■ सतयुग + त्रेतायुग + द्वापरयुग + कलियुग = 1 महायुग

■ 76 महायुग = मनवन्तर ,

■ 1000 महायुग = 1 कल्प

■ 1 नित्य प्रलय = 1 महायुग (धरती पर जीवन अन्त और फिर आरम्भ )

■ 1 नैमितिका प्रलय = 1 कल्प ।(देवों का अन्त और जन्म )

■ महाकाल = 730 कल्प ।(ब्राह्मा का अन्त और जन्म )

सम्पूर्ण विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र यही है। जो हमारे देश भारत में बना। ये हमारा भारत जिस पर हमको गर्व है l

दो लिंग : नर और नारी ।

दो पक्ष : शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष।

दो पूजा : वैदिकी और तांत्रिकी (पुराणोक्त)।

दो अयन : उत्तरायन और दक्षिणायन।

तीन देव : ब्रह्मा, विष्णु, शंकर।

तीन देवियाँ : महा सरस्वती, महा लक्ष्मी, महा गौरी।

तीन लोक : पृथ्वी, आकाश, पाताल।

तीन गुण : सत्वगुण, रजोगुण, तमोगुण।

तीन स्थिति : ठोस, द्रव, वायु।

तीन स्तर : प्रारंभ, मध्य, अंत।

तीन पड़ाव : बचपन, जवानी, बुढ़ापा।

तीन रचनाएँ : देव, दानव, मानव।

तीन अवस्था : जागृत, मृत, बेहोशी।

तीन काल : भूत, भविष्य, वर्तमान।

तीन नाड़ी : इडा, पिंगला, सुषुम्ना।

तीन संध्या : प्रात:, मध्याह्न, सायं।

तीन शक्ति : इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति, क्रियाशक्ति।

चार धाम : बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम्, द्वारका।

चार मुनि : सनत, सनातन, सनंद, सनत कुमार।

चार वर्ण : ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।

चार निति : साम, दाम, दंड, भेद।

चार वेद : सामवेद, ॠग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद।

चार स्त्री : माता, पत्नी, बहन, पुत्री।

चार युग : सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग, कलयुग।

चार समय : सुबह, शाम, दिन, रात।

चार अप्सरा : उर्वशी, रंभा, मेनका, तिलोत्तमा।

चार गुरु : माता, पिता, शिक्षक, आध्यात्मिक गुरु।

चार प्राणी : जलचर, थलचर, नभचर, उभयचर।

चार जीव : अण्डज, पिंडज, स्वेदज, उद्भिज।

चार वाणी : ओम्कार्, अकार्, उकार, मकार्।

चार आश्रम : ब्रह्मचर्य, ग्राहस्थ, वानप्रस्थ, सन्यास।

चार भोज्य : खाद्य, पेय, लेह्य, चोष्य।

चार पुरुषार्थ : धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष।

चार वाद्य : तत्, सुषिर, अवनद्व, घन।

पाँच तत्व : पृथ्वी, आकाश, अग्नि, जल, वायु।

पाँच देवता : गणेश, दुर्गा, विष्णु, शंकर, सुर्य।

पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ : आँख, नाक, कान, जीभ, त्वचा।

पाँच कर्म : रस, रुप, गंध, स्पर्श, ध्वनि।

पाँच  उंगलियां : अँगूठा, तर्जनी, मध्यमा, अनामिका, कनिष्ठा।

पाँच पूजा उपचार : गंध, पुष्प, धुप, दीप, नैवेद्य।

पाँच अमृत : दूध, दही, घी, शहद, शक्कर।

पाँच प्रेत : भूत, पिशाच, वैताल, कुष्मांड, ब्रह्मराक्षस।

पाँच स्वाद : मीठा, चर्खा, खट्टा, खारा, कड़वा।

पाँच वायु : प्राण, अपान, व्यान, उदान, समान।

पाँच इन्द्रियाँ : आँख, नाक, कान, जीभ, त्वचा, मन।

पाँच वटवृक्ष : सिद्धवट (उज्जैन), अक्षयवट (Prayagraj), बोधिवट (बोधगया), वंशीवट (वृंदावन), साक्षीवट (गया)।

पाँच पत्ते : आम, पीपल, बरगद, गुलर, अशोक।

पाँच कन्या : अहिल्या, तारा, मंदोदरी, कुंती, द्रौपदी।

छ: ॠतु : शीत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, बसंत, शिशिर।

छ: ज्ञान के अंग : शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द, ज्योतिष।

छ: कर्म : देवपूजा, गुरु उपासना, स्वाध्याय, संयम, तप, दान।

छ: दोष : काम, क्रोध, मद (घमंड), लोभ (लालच),  मोह, आलस्य।

सात छंद : गायत्री, उष्णिक, अनुष्टुप, वृहती, पंक्ति, त्रिष्टुप, जगती।

सात स्वर : सा, रे, ग, म, प, ध, नि।

सात सुर : षडज्, ॠषभ्, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत, निषाद।

सात चक्र : सहस्त्रार, आज्ञा, विशुद्ध, अनाहत, मणिपुर, स्वाधिष्ठान, मुलाधार।

सात वार : रवि, सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि।

सात मिट्टी : गौशाला, घुड़साल, हाथीसाल, राजद्वार, बाम्बी की मिट्टी, नदी संगम, तालाब।

सात महाद्वीप : जम्बुद्वीप (एशिया), प्लक्षद्वीप, शाल्मलीद्वीप, कुशद्वीप, क्रौंचद्वीप, शाकद्वीप, पुष्करद्वीप।

सात ॠषि : वशिष्ठ, विश्वामित्र, कण्व, भारद्वाज, अत्रि, वामदेव, शौनक।

सात ॠषि : वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र, भारद्वाज।

सात धातु (शारीरिक) : रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, वीर्य।

सात रंग : बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी, लाल।

सात पाताल : अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल, पाताल।

सात पुरी : मथुरा, हरिद्वार, काशी, अयोध्या, उज्जैन, द्वारका, काञ्ची।

सात धान्य : उड़द, गेहूँ, चना, चांवल, जौ, मूँग, बाजरा।

आठ मातृका : ब्राह्मी, वैष्णवी, माहेश्वरी, कौमारी, ऐन्द्री, वाराही, नारसिंही, चामुंडा।

आठ लक्ष्मी : आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, संतानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी, विद्यालक्ष्मी।

आठ वसु : अप (अह:/अयज), ध्रुव, सोम, धर, अनिल, अनल, प्रत्युष, प्रभास।

आठ सिद्धि : अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व।

आठ धातु : सोना, चांदी, ताम्बा, सीसा जस्ता, टिन, लोहा, पारा।

नवदुर्गा : शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कुष्मांडा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री।

नवग्रह : सुर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु।

नवरत्न : हीरा, पन्ना, मोती, माणिक, मूंगा, पुखराज, नीलम, गोमेद, लहसुनिया।

नवनिधि : पद्मनिधि, महापद्मनिधि, नीलनिधि, मुकुंदनिधि, नंदनिधि, मकरनिधि, कच्छपनिधि, शंखनिधि, खर्व/मिश्र निधि।

दस महाविद्या : काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्तिका, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला।

दस दिशाएँ : पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, आग्नेय, नैॠत्य, वायव्य, ईशान, ऊपर, नीचे।

दस दिक्पाल : इन्द्र, अग्नि, यमराज, नैॠिति, वरुण, वायुदेव, कुबेर, ईशान, ब्रह्मा, अनंत।

दस अवतार (विष्णुजी) : मत्स्य, कच्छप, वाराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, कल्कि।

दस सति : सावित्री, अनुसुइया, मंदोदरी, तुलसी, द्रौपदी, गांधारी, सीता, दमयन्ती, सुलक्षणा, अरुंधती।

उक्त जानकारी शास्त्रोक्त 📚 आधार पर… हैं ।

यह आपको पसंद आया हो तो अपने बन्धुओं को भी शेयर जरूर कर अनुग्रहित अवश्य करें यह संस्कार का कुछ हिस्सा हैं 🌷 💐 

🌷 आनंद ही आनंद है 🌷

1. 🔥अग्नि विद्या (Fire & Heat Technologies)

2. 🌫 वायु विद्या (Wind & Aviation Technology)

3. 💧जल विद्या (Water & Navigation)

4. 🌃 अंतरिक्ष विद्या (Space Sciences)

5. 🌏 पृथ्वी विद्या (Environment & Ecology)

6. 🌞 सूर्य विद्या (Solar System Studies)

7. 🌙 चन्द्रलोक विद्या (Lunar Studies)

8. ☁ मेघ विद्या (Weather Forecasting)

9.🔋पदार्थ विद्युत विद्या (Battery)

10. 🌤 सौर ऊर्जा विद्या (Solar Energy)

11. 🌓 दिन रात्रि विद्या (about Day & Night)

12. 🔭 सृष्टि विद्या (Space Research)

13. 🌌 खगोल विद्या (Astronomy)

14. 🌐 भूगोल विद्या (Geography)

15. ⏳ काल विद्या (Time)

16. 🏔 भूगर्भ विद्या (Geology & Mining)

17. 💎 रत्न व धातु विद्या (Gemology, Metals & Metallurgy)

18. 🍃 गुरुत्वाकर्षण विद्या (Gravity)

19. 💡 प्रकाश विद्या (Optics)

20. 🔌 तार संचार विद्या (Communications)

21. 🛩 विमान विद्या (Aviation)

22. 🚢 जलयान विद्या (Water, Hydraulics, Sea Vessels)

 23. 💣 अग्नेय अस्त्र विद्या (Arms & Amunitions)

24. 🐄 जीव जंतु विज्ञान विद्या (Zoology & Botany)

25. 🌋 यज्ञ विद्या (Material Sciences)

👉 अब वैज्ञानिक विद्याओं की बात करते हैं, व्यावसायिक और तकनीकी विद्या की:

1. वाणिज्य व अर्थशास्त्र (Commerce &  Economics)

2. भेषज (Pharmacy)

3. शल्यकर्म व चिकित्सा (Diagnosis and Surgery)

4. कृषि व जल संचार (Agriculture & Irrigation)

5. पशुपालन (Animal Husbandry)

6. पक्षिपलन (Bird Keeping)

7. पशु प्रशिक्षण (Animal Training)

8. यान यन्त्रकार (Mechanics)

9. रथकार (Vehicle Designing)

10. रतन्कार (Gems)

11. सुवर्णकार (Jewellery Designing)

12. वस्त्रकार (Textiles)

13. कुम्भकार (Pottery)

14. लोहकार (Metallurgy)

15. तक्षक (Toxicology)

16. रंगसाज (Dyeing)

17. रज्जुकर (Logistics)

18. वास्तुकार (Architecture)

19. पाकविद्या (Cooking)

20. सारथ्य (Driving)

21. नदी जल प्रबन्धक (Rivers & Water Management)

22. सुचिकार (Data, Info Tech & Knowledge Management)

23. गोशाला प्रबन्धक (Cattle Rearing & Management)

24. उद्यान व फल पालन (Floriculture & Horticulture)

25. वन पाल (Forestry)

26. नापित (Paramedicals)

27. अर्थशास्त्र (Economics)

28. तर्कशास्त्र (Logic)

29. न्यायशास्त्र (Law)

30. नौका शास्त्र (Ship Building & Navigation)

31. रसायनशास्त्र (Chemical Sciences)

32. ब्रह्मविद्या (Cosmology)

33. न्याय वैद्यकशास्त्र (Medical Jurisprudence)

34. अथर्ववेद क्रव्याद (Postmortem) -अथर्ववेद

आदि विद्याओं क़े तंत्रशिक्षा क़े वर्णन हमें वेद और उपनिषद में मिलते हैं!

(यह सारी विद्याएं गुरुकुल में सिखाई जाती थीं, पर समय के साथ गुरुकुल लुप्त हुए, तो यह विद्याएं भी लुप्त होती गयीं!)

👉 पुरातन ग्रंथों के अनुसार, प्राचीन ऋषि-मुनि एवं दार्शनिक हमारे आदि वैज्ञानिक थे, जिन्होंने अनेक आविष्कार किए और विज्ञान को भी ऊंचाइयों पर पहुंचाया था, कुछ प्रसिद्ध भारतीय प्राचीन ऋषिमुनि, वैज्ञानिक एवं संशोधक के नाम निम्नलिखित हैं :👇👇👇

1. अश्विनीकुमार: मान्यता है कि ये देवताओं के चिकित्सक थे! कहा जाता है कि इन्होंने उड़ने वाले रथ एवं नौकाओं का आविष्कार किया था!

2. धन्वंतरि: इन्हें आयुर्वेद का प्रथम आचार्य व प्रवर्तक माना जाता है! इनके ग्रंथ का नाम “धन्वंतरि संहिता” है! शल्य चिकित्सा शास्त्र के आदि प्रवर्तक सुश्रुत और नागार्जुन इन्हीं की परंपरा में हुए थे!

3. महर्षि भारद्वाज: आधुनिक विज्ञान के मुताबिक राइट बंधुओं ने वायुयान का आविष्कार किया! वहीं हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक, कई सदियों पहले ही ऋषि भारद्वाज ने विमानशास्त्र के जरिए वायुयान को गायब करने के असाधारण विचार से लेकर, एक ग्रह से दूसरे ग्रह, व एक धरती से दूसरी धरती में ले जाने के रहस्य उजागर किए! इस तरह ऋषि भारद्वाज को वायुयान का आविष्कारक भी माना जाता है!

4. महर्षि विश्वामित्र: ऋषि बनने से पहले, विश्वामित्र क्षत्रिय थे! ऋषि वशिष्ठ से “कामधेनु गाय” को पाने के लिए हुए युद्ध में मिली हार के बाद तपस्वी हो गए! विश्वामित्र ने भगवान शिव से “अस्त्र विद्या” पाई! इसी कड़ी में माना जाता है कि आज के युग में प्रचलित प्रक्षेपास्त्र या मिसाइल प्रणाली हजारों वर्षों पहले विश्वामित्र ने ही खोजी थी!

5. ऋषि विश्वामित्र ही “ब्रह्म गायत्री मंत्र” के दृष्टा माने जाते हैं! विश्वामित्र का अप्सरा मेनका पर मोहित होकर तपस्या भंग होना भी प्रसिद्ध है! शरीर सहित त्रिशंकु को स्वर्ग भेजने का चमत्कार भी विश्वामित्र ने तपोबल से कर दिखाया!

6. महर्षि गर्गमुनि: गर्ग मुनि नक्षत्रों के खोजकर्ता माने जाते हैं! यानी सितारों की दुनिया के जानकार!

ये गर्गमुनि ही थे, जिन्होंने श्रीकृष्ण एवं अर्जुन के बारे में नक्षत्र विज्ञान के आधार पर जो कुछ भी बताया, वह पूरी तरह सही साबित हुआ!

कौरव-पाण्डवों के बीच महाभारत युद्ध विनाशक रहा! इसके पीछे की वजह यह थी कि युद्ध के पहले पक्ष में तिथि क्षय होने के तेरहवें दिन अमावस्या थी! इसके दूसरे पक्ष में भी तिथि क्षय थी! पूर्णिमा चौदहवें दिन आ गई, और उसी दिन चंद्रग्रहण था!

तिथि-नक्षत्रों की यही स्थिति व नतीजे गर्ग मुनिजी ने पहले बता दिए थे!

7. महर्षि पतंजलि: आधुनिक दौर में जानलेवा बीमारियों में एक कैंसर या कर्करोग का आज उपचार संभव है! किंतु कई सदियों पहले ही ऋषि पतंजलि ने कैंसर को भी रोकने वाला “योगशास्त्र” रचकर बताया कि योग से कैंसर का भी उपचार संभव है!

8. महर्षि कपिल मुनि: सांख्य दर्शन के प्रवर्तक व सूत्रों के रचईता थे! महर्षि कपिल, जिन्होंने चेतना की शक्ति एवं त्रिगुणात्मक प्रकृति के विषय में महत्वपूर्ण सूत्र दिए थे!

9. महर्षि कणाद: ये वैशेषिक दर्शन के प्रवर्तक हैं! ये अणु विज्ञान के प्रणेता रहे हैं! इनके समय, अणु विज्ञान दर्शन का विषय था, जो बाद में भौतिक विज्ञान में आया!

10. महर्षि सुश्रुत: ये शल्य चिकित्सा पद्धति के प्रख्यात आयुर्वेदाचार्य थे! इन्होंने “सुश्रुत संहिता” नामक ग्रंथ में शल्य क्रिया का वर्णन किया है! सुश्रुत ने ही त्वचारोपण (प्लास्टिक सर्जरी) और मोतियाबिंदु की शल्य क्रिया का विकास किया था! पार्क -डेविस ने सुश्रुत को विश्व का प्रथम शल्य चिकित्सक कहा है !

11. जीवक: सम्राट बिंबिसार के एकमात्र वैद्य! उज्जयिनी सम्राट चंडप्रद्योत की शल्य चिकित्सा इन्होंने ही की थी! कुछ लोग मानते हैं कि गौतम बुद्ध की चिकित्सा भी इन्होंने की थी!

12. महर्षि बौधायन: बौधायन भारत के प्राचीन गणितज्ञ और शुलयशास्त्र के रचैता थे! आज विश्वभर में यूनानी उकेलेडियन ज्योमेट्री पढाई जाती है, मगर इस ज्योमेट्री से पहले भारत के कई गणितज्ञ ज्योमेट्री के नियमों की खोज कर चुके थे! उन गणितज्ञ में बौधायन का नाम सबसे ऊपर है! उस समय ज्योमेट्री या एलजेब्रा को भारत में शुल्वशास्त्र कहा जाता था!

13. महर्षि भास्कराचार्य: आधुनिक युग में धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति (पदार्थों को अपनी ओर खींचने की शक्ति) की खोज का श्रेय न्यूटन को दिया जाता है! किंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि गुरुत्वाकर्षण का रहस्य न्यूटन से भी कई सदियों पहले भास्कराचार्यजी ने उजागर किया था! भास्कराचार्यजी ने अपने ‘सिद्धांतशिरोमणि’ ग्रंथ में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के बारे में लिखा है, कि ‘पृथ्वी आकाशीय पदार्थों को विशिष्ट शक्ति से अपनी ओर खींचती है! इस वजह से आसमानी पदार्थ पृथ्वी पर गिरता है’!

15. महर्षि चरक: चरक औषधि के प्राचीन “भारतीय विज्ञान के पिता” के रूप में माने जातें हैं! वे कनिष्क के दरबार में राज वैद्य (शाही चिकित्सक) थे, उनकी चरक संहिता चिकित्सा पर एक उल्लेखनीय पुस्तकें हैं! इसमें रोगों की एक बड़ी संख्या का विवरण दिया गया है, और उनके कारणों की पहचान करने के तरीकों, और उनके उपचार की पद्धति भी प्रदान करती है! वे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण पाचन, चयापचय और प्रतिरक्षा के बारे में बताते थे, और इसलिए चिकित्सा विज्ञान, चरक संहिता में, बीमारी का इलाज करने के बजाय रोग के कारण को हटाने के लिए अधिक ध्यान रखा गया है! चरक आनुवांशिकी (अपंगता) के मूल सिद्धांतों को भी जानते थे!

16. ब्रह्मगुप्त: ७वीं शताब्दी में, ब्रह्मगुप्त ने गणित को दूसरों से परे ऊंचाइयों तक ले गये! गुणन के अपने तरीकों में, उन्होंने लगभग उसी तरह स्थान मूल्य का उपयोग किया था, जैसा कि आज भी प्रयोग किया जाता है! उन्होंने गणित में शून्य पर नकारात्मक संख्याएं और संचालन शुरू किया! उन्होंने ब्रह्म मुक्त सिध्दांतिका को लिखा, जिसके माध्यम से अरब देश के लोगों ने हमारे गणितीय प्रणाली को जाना!

17. महर्षि अग्निवेश: ये शरीर विज्ञान के रचयिता थे!

18. महर्षि शालिहोत्र: इन्होंने पशु चिकित्सा पर आयुर्वेद ग्रंथ की रचना की!

19. व्याडि: ये रसायनशास्त्री थे! इन्होंने भैषज (औषधि) रसायन का प्रणयन किया! अलबरूनी के अनुसार, व्याडि ने एक ऐसा लेप बनाया था, जिसे शरीर पर मलकर वायु में उड़ाया जा सकता था!

20. आर्यभट्ट: इनका जन्म ४७६ ई. में कुसुमपुर (पाटलिपुत्र), पटना में हुआ था! ये महान खगोलशास्त्र और व गणितज्ञ थे | इन्होने ही सबसे पहले सूर्य और चन्द्र ग्रहण की वियाख्या की थी ! और सबसे पहले इन्होने ही बताया था की धरती अपनी ही धुरी पर धूमती है ! और इसे सिद्ध भी किया था ! और यही नहीं, इन्होने ही सबसे पहले पाई के मान को निरुपित किया था!

21. महर्षि वराहमिहिर: इनका जन्म ४९९ ई . में कपित्थ (उज्जेन) में हुआ था ! ये महान गणितज्ञ और खगोलशास्त्र थे ! इन्होने पंचसिद्धान्तका नाम की पुस्तक लिखी थी, जिसमे इन्होने बताया था कि अयनांश, का मान ५०.३२सेकेण्ड के बराबर होता होता है! और इन्होने शून्य और ऋणात्मक संख्याओ के बीजगणितीय गुणों को परिभाषित किया!

22. हलायुध: इनका जन्म १००० ई . में काशी में हुआ था! ये ज्योतिषविद, और गणितज्ञ व महान वैज्ञानिक भी थे! इन्होने अभिधानरत्नमाला या मृतसंजीवनी नमक ग्रन्थ की रचना की! इसमें इन्होने या की पास्कल त्रिभुज (मेरु प्रस्तार) का स्पष्ट वर्णन किया है! पुरातन ग्रंथों के अनुसार, प्राचीन ऋषि-मुनि एवं दार्शनिक हमारे आदि वैज्ञानिक थे, जिन्होंने अनेक आविष्कार किए और विज्ञान को भी ऊंचाइयों पर पहुंचाया!

🎪🎪🎪🎪🎪🎪🎪🎪🎪🎪🎪

👉 ५, ००० वर्ष पहले ब्राह्मणों ने हमारा बहुत शोषण किया; ब्राह्मणों ने हमें पढ़ने से रोका; यह बात बताने वाले महान इतिहासकार यह नहीं बताते कि ५०० वर्ष पहले मुगलों ने हमारे साथ क्या किया, १०० वर्ष पहले अंग्रेजो और वामपंथियों ने हमारे साथ क्या किया?

हमारे देश में शिक्षा नहीं थी, लेकिन १८९७ में शिवकर बापूजी तलपडे ने हवाई जहाज बनाकर उड़ाया था, मुंबई में जिसको देखने के लिए उस समय के हाई कोर्ट के जज महा गोविंद रानाडे और मुंबई के एक राजा महाराज गायकवाड के साथ-साथ हजारों नागरिक उपस्थित थे जहाज देखने के लिए!

उसके बाद एक डेली ब्रदर नाम की इंग्लैंड की कंपनी ने शिवकर बापूजी तलपडे के साथ समझौता किया, और बाद में बापू जी का देहांत हो गया ! यह देहांत भी एक षड्यंत्र था – उनकी हत्या कर दी गई थी! और फिर बाद में १९०३ में राइट बंधु ने हवाई जहाज बनाया!

आप लोगों को बताते चलें कि आज से सहस्रों वर्ष पहले का ग्रंथ है ” महर्षि भारद्वाज का विमान शास्त्र” जिसमें ५०० जहाज ५०० प्रकार से बनाने की विधि है! उसी को पढ़कर शिवकर बापूजी तलपडे ने जहाज बनाई थी!

लेकिन यह तथाकथित नास्तिक, लंपट ईसाइयों के दलाल जो हैं तो हम सबके ही बीच से, लेकिन हमें बताते हैं कि भारत में तो कोई शिक्षण ही नहीं था, कोई रोजगार ही नहीं था!

अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन का १४ दिसंबर १७९९ को देहांत हुआ था – थे सर्दी और बुखार की वजह से, उनके पास बुखार की दवा नहीं थी! उस समय भारत में प्लास्टिक सर्जरी होती थी, और अंग्रेज प्लास्टिक सर्जरी सीख रहे थे हमारे गुरुकुलों में! अब कुछ वामपंथी लंपट बोलेंगे यह सरासर झूठ है!

तो वामपंथी लंपट गिरोह कर सकते हैं! ऑस्ट्रेलियन कॉलेज ऑफ सर्जरी, मेलबर्न में ऋषि सुश्रुत की  प्रतिमा “फादर ऑफ सर्जरी” टाइटल के साथ स्थापित है!

१५-२० वर्ष पहले का (ई.२००० वर्ष पहले का) मंदिर मिलते हैं जिसको आज के वैज्ञानिक और इंजीनियर देखकर हैरान हो जाते हैं कि मंदिर बना कैसे होगा!

अब हमें इन वामपंथी लंपट लोगो से हमें पूछना चाहिए कि  मंदिर बनाए किसने?

ब्राह्मणों ने हमें पढ़ने नहीं दिया, यह बात बताने वाले महान इतिहासकार हमें यह नहीं बताते, कि सन १८३५ तक भारत में ७ लाख गुरुकुल थे, इसका पूरा डॉक्यूमेंट Indian House में मिलेगा!

भारत गरीब देश था, चाहे है, तो फिर विश्व के तमाम आक्रमणकारी भारत में ही क्यों आए? हमें धनवान बनाने के लिए?

भारत में कोई रोजगार नहीं था?

भारत में पिछड़ी जातियों को गुलाम बनाकर रखा जाता था, लेकिन वामपंथी लंपट आपसे यह नहीं बताएंगे कि हम १७५० में पूरे विश्व के व्यापार में भारत का हिस्सा 3४{551c903f756d5bf12b7d58e2eb1e8b74af35058efa7a05d3e7b41e9147979503} था, और सन् १९०० में १{551c903f756d5bf12b7d58e2eb1e8b74af35058efa7a05d3e7b41e9147979503} पर आ गया! आखिर कारण क्या था?

अगर हमारे देश में उतना ही छुआछूत था, हमारे देश में रोजगार नहीं था, तो फिर पूरे विश्व के व्यापार में हमारा २४{551c903f756d5bf12b7d58e2eb1e8b74af35058efa7a05d3e7b41e9147979503} का व्यापार कैसे था?

यह वामपंथी लंपट यह नहीं बताएंगे कि कैसे अंग्रेजों के नीतियों के कारण भारत में लोग एक ही साथ ३० लाख लोग भूख से मर गए, कुछ ही दिनों के अंतराल में!

एक बेहद खास बात: वामपंथी लंपट या अंग्रेज दलाल कहते हैं इतना ही भारत समप्रीत था, इतनी ही सनातन संस्कृति समृद्ध थी, तो सभी अविष्कार अंग्रेजों ने ही क्यों किए हैं? भारत के विद्वानों ने कोई भी अविष्कार क्यों नहीं किया?

उन वामपंथी लंपट लोगों को बताते चलें, कि किया तो सब आविष्कार भारत में ही, लेकिन उन लोगों ने चुरा करके अपने नाम से पेटेंट कराया, नहीं तो एक बात बताओ भारत आने से पहले अंग्रेजों ने कोई एक अविष्कार किया हो तो उसका नाम बताओ! अरे थोड़ा अपना दिमाग लगाओ, कि भारत आने के बाद ही यह लोग आविष्कार कैसे करने लगे? उससे पहले क्यों नहीं करते थे?

आज, अंग्रेज मैकाले पद्धति से हमारे देश के युवाओं का भविष्य नष्ट हो रहा है, तब ऐसे समय में गुरुकुल के पुनः उद्धार की आवश्यकता है या नहीं ये आप लोग बेहतर जानते हैं। 

(अगर किसी को कोई बात सही नहीं लगी तो क्षमा करें)

जीडीपी क्या है❓

GDP के बढ़ने से क्या होता है ?

इस समय बहुत से लोग मंदी का हल्ला मचा रहे है, लेकिन लोग नही जानते जीडीपी का मूल स्वरुप, बस GDP-GDP की रट लगाते रहते है, GDP घट गई GDP घट गई !

ध्यान से समझिये…

1. जब आप टूथपेस्ट खरीदते हैं तो GDP बढ़ती है, परंतु किसी गरीब से दातुन खरीदते हैं तो GDP नहीं बढ़ती !

2. जब आप किसी बड़े होस्पिटल मे जाकर 500 रुपये की दवाई खरीदते हैं तो GDP बढ़ती है, परंतु आप अपने घर मे  गिलोय नीम या गोमूत्र से अपना इलाज करते हैं तो जीडीपी नहीं बढ़ती !

3. जब आप घर मे गाय पालकर दूध पीते हैं तो GDP नहीं बढ़ती, परंतु पैकिंग का मिलावट वाला दूध पीते हैं तो GDP बढ़ती है !

4. जब आप अपने घर मे सब्जियाँ उगाकर खाते हैं तो GDP नहीं बढ़ती, परंतु जब किसी बड़े AC माल मे जाकर 10 दिन की बासी सब्जी खरीदते हैं तो GDP बढ़ती है ! अगर आप पत्नी के हाथ का खाना  खाते हैं  और  आपकी पत्नी घर के सारे काम काज बिना पैसे लिए करती है तो GDP नहीं बड़ती। अगर आप यही सब काम माई से पैसे देकर करवाते है तो GDP बड़ती है क्योंकि उसने करेन्सी इक्स्चेंज होती है

5. जब आप गाय माता की सेवा करते हैं तो GDP नहीं बढ़ती, परंतु जब कसाई उसी गाय को काट कर चमड़ा मांस बेचते हैं तो GDP बढ़ती है !

रोजाना अखबार लिखा होता है और रोजाना आप जीडीपी के बारे में पढ़ते है और आपको लगता है की जीडीपी जितनी बढ़ेगी उतनी देश की तरक्की हो़ेगी ! यही सोचते हैं ना आप ?

कभी किसी ने जानने की कोशिश की यह जीडीपी है क्या ? आम आदमी की भाषा में जीडीपी का क्या मतलब है ये हमें आज तक किसी ने नही समझाया !

GDP actually the amount of money that exchanges hand. यानि जो पैसा आप लिखित में आदान प्रदान करते है वह अगर हम जोड़ ले तो जीडीपी बनती है !

6. अगर एक पेड़ खड़ा है तो जीडीपी नही बढती, लेकिन अगर आप उस पेड़ को काट देते है तो जीडीपी बढती है, क्योंकि पेड़ को काटने के बाद उसका फर्नीचर बनेगा या कोई और काम आएगा तो पैसे का आदान प्रदान होता है, पर पेड़ अगर खड़ा है तो कोई इकनोमिक Activity नही होती इसलिए जीडीपी भी नही बढती है !

अगर भारत के सारे पेड़ काट दिये जाये तो भारत की जीडीपी 27 {551c903f756d5bf12b7d58e2eb1e8b74af35058efa7a05d3e7b41e9147979503} हो जाएगी जो आज करीब 5{551c903f756d5bf12b7d58e2eb1e8b74af35058efa7a05d3e7b41e9147979503} है ! आप बताइए आपको 27 {551c903f756d5bf12b7d58e2eb1e8b74af35058efa7a05d3e7b41e9147979503} जीडीपी चाहिए या नही ?

7. अगर नदी साफ़ बह रही है तो जीडीपी नही बढती, पर अगर आप नदी को गंदा करते है तो जीडीपी तीन बार बढती है !

पहले नदी के पास उद्योग लगाने से जीडीपी बढेगी,  फिर नदी को साफ़ करने के लिए हज़ार करोड़ का प्रोजेक्ट लिया तो जीडीपी फिर बढ गयी ! फिर लोगो ने नदी के दूषित पानी का इस्तेमाल किया बीमार पड़े, डॉक्टर के पास गए, डॉक्टर ने फीस ली, फिर जीडीपी बढ गयी l

पहले जंक फ़ूड इंडस्ट्री की बृद्धि हुई जीडीपी बड़ी, उसके साथ फार्मासिउटीकल्स की बृद्धि हुई फिर जीडीपी बढ गयी, फिर इसके साथ इन्सोरेन्स की भी बृद्धि हुई जीडीपी बढ़ गयी ! यह तीनो इंडस्ट्री आपस में जुडी हुई है  क्योंकि आप जितना जादा जंक फ़ूड खायेंगे उतनी इंडस्ट्री की बृद्धि होगी और जीडीपी बढेगी

अब क्या आपको जीडीपी बढानी है या घर में खाना बनाना है ! अब घर में खाना बनाने से जीडीपी नही बढती, इस मायाजाल को समझे!!

गुरमीत सिंह दुग्गल

सदस्य अल्प सखक्यक आयोग

देहली सरकार

आजकल संदेश आते रहे हैं कि महादेव को दूध की कुछ बूंदें चढाकर शेष निर्धन बच्चों को दे दिया जाए। सुनने में बहुत अच्छा लगता है लेकिन हर भारतीय त्योहार पर ऐसे संदेश पढ़कर थोड़ा दुख होता है। दीवाली पर पटाखे ना चलाएं, होली में रंग और गुलाल ना खरीदें, सावन में दूध ना चढ़ाएं, उस पैसे से गरीबों की मदद करें। लेकिन त्योहारों के पैसे से ही क्यों? ये एक साजिश है हमें अपने रीति-रिवाजों से विमुख करने की।

हम सब प्रतिदिन दूध पीते हैं तब तो हमें कभी ये ख्याल नहीं आया कि लाखों गरीब बच्चे दूध के बिना जी रहे हैं। अगर दान करना ही है तो अपने हिस्से के दूध का दान करिए और वर्ष भर करिए। कौन मना कर रहा है। शंकर जी के हिस्से का दूध ही क्यों दान करना?

अपने करीब उपलब्ध किसी आयुर्वेदाचार्य के पास जाकर पूछिये कि वर्ष के जिन दिनों में शिव जी को दूध का अभिषेक किया जाता है उन दिनों में स्वास्थ्य की दृष्टि से दूध का न्यूनतम सेवन किया जाए जिससे मौसमानुसार शरीर में वात और कफ न बढे जिससे हम निरोगी रहे ऐसा आयुर्वेद कहता है कि नहीं।

आप अपने व्यसन का दान कीजिये दिन भर में जो आप सिगरेट, पान-मसाला, शराब, मांस अथवा किसी और क्रिया में जो पैसे खर्च करते हैं उसको बंद कर के गरीब को दान कीजिये | इससे आपको दान के लाभ के साथ साथ स्वास्थ्य का भी लाभ होगा।

महादेव ने जगत कल्याण हेतु विषपान किया था इसलिए उनका अभिषेक दूध से किया जाता है। जिन महानुभावों के मन में अतिशय दया उत्पन्न हो रही है उनसे मेरा अनुरोध है कि एक महीना ही क्यों, वर्ष भर गरीब बच्चों को दूध का दान दें। घर में जितना भी दूध आता हो उसमें से ज्यादा नहीं सिर्फ आधा लीटर ही किसी निर्धन परिवार को दें। महादेव को जो 50 ग्राम दूध चढ़ाते हैं वो उन्हें ही चढ़ाएं।

शिवलिंग की वैज्ञानिकता ….

भारत का रेडियोएक्टिविटी मैप उठा लें, तब हैरान हो जायेगें ! भारत सरकार के न्यूक्लिअर रिएक्टर के अलावा सभी ज्योतिर्लिंगों के स्थानों पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है।

शिवलिंग और कुछ नहीं बल्कि न्यूक्लियर रिएक्टर्स ही हैं, तभी तो उन पर जल चढ़ाया जाता है ताकि वो शांत रहे।

महादेव के सभी प्रिय पदार्थ जैसे कि बिल्व पत्र, आक, आकमद, धतूरा, गुड़हल, आदि सभी न्यूक्लिअर एनर्जी सोखने वाले है।

क्यूंकि शिवलिंग पर चढ़ा पानी भी रिएक्टिव हो जाता है इसीलिए तो जल निकासी नलिका को लांघा नहीं जाता।

भाभा एटॉमिक रिएक्टर का डिज़ाइन भी शिवलिंग की तरह ही है।

शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल नदी के बहते हुए जल के साथ मिलकर औषधि का रूप ले लेता है।

तभी तो हमारे पूर्वज हम लोगों से कहते थे कि महादेव शिवशंकर अगर नाराज हो जाएंगे तो प्रलय आ जाएगी।

ध्यान दें, कि हमारी परम्पराओं के पीछे कितना गहन विज्ञान छिपा हुआ है।

जिस संस्कृति की कोख से हमने जन्म लिया है, वो तो चिर सनातन है। विज्ञान को परम्पराओं का जामा इसलिए पहनाया गया है ताकि वो प्रचलन बन जाए और हम भारतवासी सदा वैज्ञानिक जीवन जीते रहें।..

अपना व्यवहार बदलो अपने धर्म को बदलने का प्रयास मत करो।

!!ॐ नम: शिवाय, हर हर महादेव !!

                          ⚜🕉⛳🕉⚜

आलेख बङा अवश्य है मगर अवश्य पढ़ें🙏

एक माँ अपने पूजा-पाठ से फुर्सत पाकर अपने विदेश में रहने वाले बेटे से विडियो चैट करते वक्त *पूछ बैठी-

“बेटा! कुछ पूजा-पाठ भी करते हो या नहीं?”

बेटा बोला-

“माँ, मैं एक जीव वैज्ञानिक हूँ। मैं अमेरिका में मानव के विकास पर काम कर रहा हूँ। *विकास का सिद्धांत, चार्ल्स डार्विन.. क्या आपने उसके बारे में सुना भी है?”

उसकी माँ मुस्कुराई
और बोली…..
“मैं डार्विन के बारे में जानती हूँ बेटा.. उसने जो भी खोज की, वह वास्तव में सनातन-धर्म के लिए बहुत पुरानी खबर है।”

“हो सकता है माँ!” बेटे ने भी *व्यंग्यपूर्वक कहा।

“यदि तुम कुछ समझदार हो, तो इसे सुनो..” उसकी माँ ने प्रतिकार किया।
“क्या तुमने दशावतार के बारे में सुना है?
विष्णु के दस अवतार ?”
बेटे ने सहमति में कहा…
“हाँ! पर दशावतार का मेरी रिसर्च से क्या लेना-देना?”

माँ फिर बोली-
“लेना-देना है..
मैं तुम्हें बताती हूँ कि तुम और मि. डार्विन क्या नहीं जानते हो ?”

“पहला अवतार था ‘मत्स्य’, यानि मछली। ऐसा इसलिए कि
जीवन पानी में आरम्भ हुआ। यह बात सही है या नहीं?”

बेटा अब ध्यानपूर्वक सुनने लगा..

“उसके बाद आया *दूसरा अवतार ‘कूर्म’, अर्थात् कछुआ
क्योंकि
जीवन पानी से जमीन की ओर चला गया.. ‘उभयचर (Amphibian)’,
तो कछुए ने समुद्र से जमीन की ओर के विकास को दर्शाया।”

“तीसरा था ‘वराह’ अवतार, यानी सूअर। जिसका मतलब *वे जंगली जानवर, जिनमें अधिक बुद्धि नहीं होती है। तुम उन्हें डायनासोर कहते हो।”
बेटे ने आंखें फैलाते हुए सहमति जताई..

“चौथा अवतार था ‘नृसिंह’, आधा मानव, आधा पशु। जिसने दर्शाया *जंगली जानवरों से बुद्धिमान जीवों का विकास।”

“पांचवें ‘वामन’ हुए, बौना जो वास्तव में लंबा बढ़ सकता था।
क्या तुम जानते हो ऐसा क्यों है? क्योंकि मनुष्य दो प्रकार के होते थे- होमो इरेक्टस(नरवानर) और होमो सेपिअंस (मानव), और
होमो सेपिअंस ने विकास की लड़ाई जीत ली।”

बेटा दशावतार की प्रासंगिकता सुन के स्तब्ध रह गया..

माँ ने बोलना जारी रखा-
“छठा अवतार था ‘परशुराम’, जिनके पास शस्त्र (कुल्हाड़ी) की ताकत थी। वे दर्शाते हैं उस मानव को , जो गुफा और वन में रहा.. गुस्सैल और असामाजिक।”

“सातवां अवतार थे ‘मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम’, सोच युक्त प्रथम सामाजिक व्यक्ति। जिन्होंने समाज के नियम बनाए और समस्त रिश्तों का आधार।”

“आठवां अवतार थे ‘भगवान श्री कृष्ण’, राजनेता, राजनीतिज्ञ, प्रेमी। जिन्होंने समाज *के नियमों का आनन्द लेते हुए यह सिखाया कि *सामाजिक ढांचे में रहकर कैसे फला-फूला जा सकता है?”
बेटा सुनता रहा, चकित और विस्मित..

माँ ने ज्ञान की गंगा प्रवाहित रखी –
“नवां * थे ‘महात्मा बुद्ध’, वे व्यक्ति जिन्होंने नृसिंह से उठे मानव के सही स्वभाव को खोजा। उन्होंने मानव द्वारा ज्ञान की अंतिम खोज की पहचान की।”

“..और अंत में *दसवां अवतार ‘कल्कि’ आएगा। वह मानव जिस पर तुम काम कर रहे हो.. वह मानव, जो आनुवंशिक रूप से श्रेष्ठतम होगा।”

बेटा अपनी माँ को *अवाक् होकर देखता रह गया..

अंत में वह बोल पड़ा-
“यह अद्भुत है माँ.. हिंदू दर्शन वास्तव में अर्थपूर्ण है!”

मित्रों..
वेद, पुराण, ग्रंथ, उपनिषद इत्यादि सब अर्थपूर्ण हैं। सिर्फ आपका देखने का नज़रिया होना चाहिए। फिर चाहे वह धार्मिक हो या वैज्ञानिकता…!🦚

Causes of: MENTAL CONFUSION IN THE THIRD AGE
By: Arnaldo Liechtenstein, physician.

Whenever I teach clinical medicine to students in the fourth year of medicine, I ask the following question:

What are the causes of mental confusion in the elderly?

Some offer: “Tumors in the head”. I answer: No!

Others suggest: “Early symptoms of Alzheimer’s”. I answer again: No!

With each rejection of their answers, their responses dry up.

And they are even more open-mouthed when I list the three most common causes:

  • uncontrolled
    diabetes;
  • urinary infection;
  • dehydration

It may sound like a joke, but it isn’t. People over 60 constantly stop feeling thirsty and consequently stop drinking fluids.

When no one is around to remind them to drink fluids, they quickly dehydrate. Dehydration is severe and affects the entire body. It may cause abrupt mental confusion, a drop in blood pressure, increased heart palpitations,
angina (chest pain), coma and even death.

This habit of forgetting to drink fluids begins at age 60, when we have just over 50{551c903f756d5bf12b7d58e2eb1e8b74af35058efa7a05d3e7b41e9147979503} of the water we should have in our bodies. People over 60 have a lower water reserve. This is part of the natural aging process.

But there are more complications. Although they are dehydrated, they don’t feel like drinking water, because their internal balance mechanisms don’t work very well.

Conclusion:
People over 60 years old dehydrate easily, not only because they have a smaller water supply, but also because they do not feel the lack of water in the body.

Although people over 60 may look healthy, the performance of reactions and chemical functions can damage their entire body.

So here are two alerts:
  1) Get into the habit of drinking liquids. Liquids include water, juices, teas, coconut water, milk, soups,and water-rich fruits, such as watermelon, melon, peaches and pineapple; Orange and tangerine also work.

The important thing is that, every two hours, you must drink some liquid. Remember this!

2) Alert for family members: constantly offer fluids to people over 60. At the same time, observe them.

If you realize that they are rejecting liquids and, from one day to the next, they are irritable, breathless or display a lack of attention, these are almost certainly recurrent symptoms of dehydration.

 Arnaldo Liechtenstein (46), physician, is a general practitioner at Hospital das Clínicas and a collaborating professor in the Department of Clinical Medicine at the Faculty of Medicine of the University of São Paulo (USP).

 Did you like it?

So spread it out! DON’T FORGET TO DO IT NOW!

Your friends and family need to know for themselves and help you to be healthier and happier.

 It’s good to share!  For people over 60

Happiness always 😊

मौन है मन की मृत्यु, मौन है मन का समाप्त हो जाना, मौन है मन का विलीन हो जाना। जैसे सागर में लहरें हैं, कोई हमसे आकर पूछे कि जब सागर शांत होता है तो लहरों की क्या अवस्था होती है, तो हम क्या कहेंगे? हम कहेंगे, जब सागर शांत होता है तो लहरें होती ही नहीं। लहरों की अवस्था का सवाल नहीं। सागर अशांत होता है तो लहरें होती हैं। असल में लहरें और अशांति एक ही चीज के दो नाम हैं। अशांति नहीं रही तो लहरें नहीं रहीं, रह गया सागर।

मन है अशांति, मन है लहर। जब सब मौन हो गया तो लहरें चली गईं, विचार चले गए, मन भी गया, रह गया सागर, रह गई आत्मा, रह गया परमात्मा। परमात्मा के सागर पर मन की जो लहरें हैं वे ही हम अलग अलग व्यक्ति बन गए हैं। एक – एक लहर को अगर होश आ जाए तो वह कहेगी ‘मैं हूं।’ और उसे पता भी नहीं कि वह नहीं है, सागर है।

यह जो हमें खयाल उठता है कि ‘मैं हूं’ यह हमारी एक -एक मन की अशांत लहरों का जोड़ है। ये लहरें विलीन हो जाएंगी तो आप नहीं रहेंगे, मन नहीं रहेगा। रह जाएगा परमात्मा, रह जाएगा एक चेतना का सागर।

भगवानशंकरकेनिवासस्थान कैलाश पर्वत के पास स्थित है कैलाश मानसरोवर। यह अद्भुत स्थान रहस्यों से भरा है। शिवपुराण, स्कंद पुराण, मत्स्य पुराण आदि में कैलाश खंड नाम से अलग ही अध्याय है, जहां की महिमा का गुणगान किया गया है…

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी के पास कुबेर की नगरी है। यहीं से महाविष्णु के कर-कमलों से निकलकर गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है, जहां प्रभु शिव उन्हें अपनी जटाओं में भर धरती में निर्मल धारा के रूप में प्रवाहित करते हैं।#कैलाश_पर्वत के ऊपर स्वर्ग और नीचे मृत्यलोक है। आओ जानते हैं इसके 12 रहस्य।

1 #धरतीकाकेंद्र: धरती के एक ओर उत्तरी ध्रुव है, तो दूसरी ओर दक्षिणी ध्रुव। दोनों के बीचोबीच स्थित है हिमालय। हिमालय का केंद्र है कैलाश पर्वत। वैज्ञानिकों के अनुसार यह धरती का केंद्र है। कैलाश पर्वत दुनिया के 4 मुख्य धर्मों हिन्दूजैनबौद्धऔरसिख धर्म का केंद्र है।

2 #अलौकिकशक्तिकाकेंद्र : यह एक ऐसा भी केंद्र है जिसे एक्सिस मुंडी (Axis Mundi) कहा जाता है। एक्सिस मुंडी अर्थात दुनिया की नाभि या आकाशीय ध्रुव और भौगोलिक ध्रुव का केंद्र। यह आकाश और पृथ्वी के बीच संबंध का एक बिंदु है, जहां दसों_दिशाएं मिल जाती हैं। रशिया के वैज्ञानिकों के अनुसार एक्सिस मुंडी वह स्थान है, जहां अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है और आप उन शक्तियों के साथ संपर्क कर सकते हैं।

3 #पिरामिडनुमाक्योंहैयहपर्वत : कैलाश पर्वत एक विशालकाय पिरामिड है, जो 100 छोटे पिरामिडों का केंद्र है। कैलाश पर्वत की संरचना कम्पास के 4 दिक् बिंदुओं के समान है और एकांतस्थान पर स्थित है, जहां कोई भी बड़ा पर्वत नहीं है।

4 #शिखरपरकोईनहींचढ़सकता : कैलाश पर्वत पर चढ़ना निषिद्ध है, परंतु 11वीं सदी में एक तिब्बती बौद्ध योगी मिलारेपा ने इस पर चढ़ाई की थी। रशिया के वैज्ञानिकों की यह रिपोर्ट ‘यूएनस्पेशियल’ मैग्जीन के 2004 के जनवरी अंक में प्रकाशित हुई थी। हालांकि मिलारेपा ने इस बारे में कभी कुछ नहीं कहा इसलिए यह भी एक रहस्य है।

5 #दोरहस्यमयीसरोवरोंका_रहस्य : यहां 2 सरोवर मुख्य हैं- पहला, मानसरोवर जो दुनिया की शुद्ध पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकार सूर्य के समान है। दूसरा, राक्षस नामक झील, जो दुनिया की खारे पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकार चन्द्र के समान है। ये दोनों झीलें सौर और चन्द्र बल को प्रदर्शित करती हैं जिसका संबंध सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा से है। जब दक्षिण से देखते हैं तो एक स्वस्तिक चिह्न वास्तव में देखा जा सकता है। यह अभी तक रहस्य है कि ये झीलें प्राकृतिक तौर पर निर्मित हुईं या कि ऐसा इन्हें बनाया गया?

6 #यहींसेक्योंसभीनदियोंका_उद्गम : इस पर्वत की कैलाश पर्वत की 4 दिशाओं से 4 नदियों का उद्गम हुआ है- ब्रह्मपुत्र, सिन्धु, सतलज व करनाली। इन नदियों से ही गंगा, सरस्वती सहित चीन की अन्य नदियां भी निकली हैं। कैलाश की चारों दिशाओं में विभिन्न जानवरों के मुख हैं जिसमें से नदियों का उद्गम होता है। पूर्व में अश्वमुख है, पश्चिम में हाथी का मुख है, उत्तर में सिंह का मुख है, दक्षिण में मोर का मुख है।

7 #सिर्फपुण्यात्माएंहीनिवासकरसकती_हैं : यहां पुण्यात्माएं ही रह सकती हैं। कैलाश पर्वत और उसके आसपास के वातावरण पर अध्ययन कर चुके रशिया के वैज्ञानिकों ने जब तिब्बत के मंदिरों में धर्मगुरुओं से मुलाकात की तो उन्होंने बताया कि कैलाश पर्वत के चारों ओर एक अलौकिक शक्ति का प्रवाह है जिसमें तपस्वी आज भी आध्यात्मिक गुरुओं के साथ टेलीपैथिक संपर्क करते हैं।

9 #येतिमानवकारहस्य : हिमालयवासियों का कहना है कि हिमालय पर यति मानव रहता है। कोई इसे भूरा भालू कहता है, कोई जंगली मानव तो कोई हिम मानव। यह धारणा प्रचलित है कि यह लोगों को मारकर खा जाता है। कुछ वैज्ञानिक इसे निंडरथल मानव मानते हैं। विश्वभर में करीब 30 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि हिमालय के बर्फीले इलाकों में हिम मानव मौजूद हैं।

10 #ShareWithPride_कस्तूरीमृगका_रहस्य : दुनिया का सबसे दुर्लभ मृग है कस्तूरी मृग। यह हिरण उत्तर पाकिस्तान, उत्तर भारत, चीन, तिब्बत, साइबेरिया, मंगोलिया में ही पाया जाता है। इस मृग की कस्तूरी बहुत ही सुगंधित और औषधीय गुणों से युक्त होती है, जो उसके शरीर के पिछले हिस्से की ग्रंथि में एक पदार्थ के रूप में होती है। कस्तूरी मृग की कस्तूरी दुनिया में सबसे महंगे पशु उत्पादों में से एक है।

11 #डमरूऔरओमकी_आवाज : यदि आप कैलाश पर्वत या मानसरोवर झील के क्षेत्र में जाएंगे, तो आपको
निरंतर एक आवाज सुनाई देगी, जैसे कि कहीं आसपास में एरोप्लेन उड़ रहा हो। लेकिन ध्यान से सुनने पर यह आवाज ‘डमरू’ या ‘ॐ’ की ध्वनि जैसी होती है।
वैज्ञानिक कहते हैं कि हो सकता है कि यह आवाज बर्फ के पिघलने की हो। यह भी हो सकता है कि प्रकाश और ध्वनि के बीच इस तरह का समागम होता है कि यहां से ‘ॐ’ की आवाजें सुनाई देती हैं।

12 #आसमानमेंलाइटका_चमकना : दावा किया जाता है कि कई बार कैलाश पर्वत पर 7 तरह की लाइटें आसमान में चमकती हुई देखी गई हैं। नासा के वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि हो सकता है कि ऐसा यहां के चुम्बकीय बल के कारण होता हो। यहां का चुम्बकीय बल आसमान से मिलकर कई बार इस तरह की चीजों का निर्माण कर सकता

हर हर महादेव

जंगल मे एक साँप अपने ज़हर की तारीफ़ कर रहा था कि मेरा डसा पानी भी नहीं माँगता!
पास बैठे मेंढक उसका मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि लोग तेरे डर से मरते हैं, ज़हर से नहीं!!

दोनों की बहस मुकाबले में बदल गई अब यह तय हुआ कि किसी इंसान को साँप छुप कर काटेगा और मेंढक फुदककर सामने आएगा और दूसरा ये कि इंसान को मेंढक काटेगा और साँप फन उठाकर सामने आएगा!!

तभी इतने में एक राहगीर आता दिखाई दिया उसको साँप ने छुप के काटा और टांगों के बीच से मेंढक फुदक के निकला, राहगीर मेंढक देख के ज़ख़्म को खुजाते हुए चला गया ये सोचकर कि मेंढक ही तो है और उसे कुछ नहीं हुआ!!

अब दुसरे राहगीर को मेंढक ने छुप के काटा और साँप फन फैलाकर सामने आ गया वह राहगीर दहशत के मारे जमीन पर गिर गया और उसने वहीं दम तोड़ दिया!!

इसी तरह दुनिया में हर रोज़ हज़ारों इंसान मरते हैं, जिनको अलग-अलग बीमारियां होती हैं, कितने तो बगैर बीमारी के ही मर जाते हैं!!

अब आप देखिए दूसरी मौत के मुक़ाबले कोरोना से मरने वालों की संख्या बहुत ही कम है,
मौत एक सच है ,हर हाल में आनी है!
लेकिन सावधानी (Precaution) आवश्यक है! डर को खुद से दुर रखें, डर और निराशा से इंसान टूट जाता है! फिर उसका किसी भी बीमारी से लडना आसान नही !

कोरोना से बहुत से लोग ठीक हो चुके हैं और हो भी रहे हैं मौत उसकी आती है जिसके ज़िन्दगी के दिन पूरे हो चुके होते हैं!

डर को दिमाग में बिठाकर मौत से पहले अपनी ज़िन्दगी को मौत से बदतर ना करें जीने की चाहत अपने आप में पैदा करेंगे तो कोई मुश्किल कोई परेशानी आपका कुछ नही बिगाड सकती!!

बस लापरवाही न करें!!